कल्पना मुर्मू सोरेन एक आर्मी ऑफिसर की बेटी है और झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार सोरेन की बहू है. कल्पना मुर्मू सोरेन एक शांत स्वाभाव वाली शक्तिशाली महिला हैं जो झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं.
कल्पना मुर्मू सोरेन एक समर्पित पत्नी, माँ, सफल उद्यमी और समाजसेविका हैं, और उनकी क्षमता और संकल्पशक्ति को किसी भी परिस्थिति में नजरन्दाज नहीं किया जा सकता है. कल्पना मुर्मू सोरेन 2024 में हेमंत सोरेन की मनी लांड्रिंग मामले में ईडी द्वारा की गयी गिरफ़्तारी के बाद अचानक राजनीति में सक्रिय भूमिका में आ गयी, इससे पहले सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में उनका काम झारखंड के लोगों के जीवन पर सदैव सकारात्मक प्रभाव डालता रहा था.
हेमंत सोरेन की वाइफ कल्पना मुर्मू सोरेन की तुलना अचानक 2024 में लालू प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से होने लगी थी, जब फरवरी 2024 में झारखंड की राजनीति कुछ दशक पहले बिहार की राजनीति की तरह झटके से बदली थी.
कल्पना मुर्मू सोरेन अचानक हेमत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से हटने पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद की प्रमुख दावेदार बन गयी थी, जैसे बिहार में लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री पद से हटने पर राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बन गयी थी. हालांकि इस परिस्थिति में बाद में कल्पना मुर्मू सोरेन की जगह चम्पई सोरेन झारखंड के मुख्य्मंत्री बने थे.
कल्पना मुर्मू सोरेन का जन्म 20 जनवरी, सन 1976 में ओडिशा के मयूरभंज जिले में कैप्टन अम्पा मुर्मू के यहाँ एक हुआ था और उनका परिवार बाद में रांची में स्थानांतरित हो गया था. वही पर उनकी शिक्षा दीक्षा हुई और कल्पना मुर्मू सोरेन ने बीटेक ग्रेजुएट और एम बी ए की डिग्री हासिल की थी. कल्पना मुर्मू सोरेन की शादी सन 2006 में हेमंत सोरेन से हुई थी, जिनसे कल्पना मुर्मू के दो बेटे, निखिल और अंश हैं.
एक राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखने के बावजूद, कल्पना मुर्मू सोरेन की शुरू से राजनीति में जाने की कोई इच्छा या इरादा नहीं था. न ही उन्होंने आधिकारिक रूप से कभी ऐसी किसी महत्वाकांक्षा को व्यक्त किया था.
कल्पना मुर्मू सोरेन हमेशा महिला सशक्तीकरण और आदिवासी कल्याण के मुद्दों पर मुखर रही हैं. कल्पना मुर्मू सोरेन झारखंड के आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करती रही हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती हैं. वह आदिवासी समुदाय के अधिकारों की एक स्ट्रांग सपोर्टर हैं, और 2024 से पहले सीधे तौर पर राजनीति में शामिल नहीं थी. हालांकि, तब भी सामाजिक कार्यक्रमों में कल्पना मुर्मू सोरेन की सक्रिय भागीदारी ने उन्हें राज्य में प्रसिद्ध कर दिया था, और उनकी ख्याति किसी भी अन्य राजनीतिक पर्सनालिटी से किसी भी तरह कम नहीं थी.
तब कल्पना मुर्मू सोरेन ने रांची में एक प्ले स्कूल की स्थापना की थी, जो कमज़ोर वर्ग के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करता है. इसके अलावा, कल्पना मुर्मू सोरेन विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़ी रही और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सक्रिय रूप से काम करती थी.
सन 2024 कल्पना मुर्मू सोरेन के जीवन में एक बड़ा उथल पुथल भरा साल रहा. साल की शुरुआत में उनके पति झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरन को जेल जाना पड़ा और साथ ही अपने मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इसी दौरान कल्पना मुर्मू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की बात चली, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम में पार्टी ने कल्पना सोरेन पर तरजीह देते हुए चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि पार्टी का यह निर्णय कुछ ही दिनों में गलत साबित हो गया, जब हेमंत सोरेन जेल से वापस आये और मुख्यमंत्री बने तो चम्पई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और हेमंत सोरेन का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया.
यह समय जे एम एम और सोरेन परिवार के लिए बहुत कठिन था. हेमंत सोरेन को जेल, फिर भरोसेमंद चम्पई सोरेन के साथ ही परिवार की बहु सीता सोरेन का भी विद्रोह करके विपक्षी पार्टी बीजेपी से मिल जाना. इन सभी घटनाओं ने सोरेन परिवार को झकझोर दिया था. लेकिन समय की इस बड़ी चुनौती को कल्पना मुर्मू सोरेन बड़ी सहजता से स्वीकार किया और न केवल पति और परिवार बल्कि पार्टी को भी बखूबी संभाला. जिसका सबूत कुछ ही दिनों बाद हुए भारत के लोकसभा चुनाव 2024 और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने दे दिया.
भारत के लोकसभा चुनाव 2024 में कल्पना मुर्मू सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत दिल्ली की एक रैली से की थी. इन चुनावों में जेएमएम के चुनाव प्रचार की मुख्य धुरी कल्पना ही थी और उनकी लीडरशिप में गठबंधन ने झारखंड की सभी पांच आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी.
यह कल्पना मुर्मू सोरेन के अथक प्रयासों और मेहनत का ही नतीजा था, कि झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा चुनाव 2024 में सरकार बनाने में सफल रहा और कल्पना के पति हेमंत सोरेन 2024 में फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री बने.
झारखंड के इन विधानसभा चुनावों में 24 साल बाद ऐसा हुआ है कि सत्तारूढ़ दल पुनः चुनाव जीता हो. इन चुनावों में खुद कल्पना मुर्मू सोरेन ने भी गांडेय विधानसभा सीट पर बीजेपी की मुनिया देवी को 17142 वोटों के बड़े मार्जन से हराया था.
इन चुनावों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर मजबूत पकड़ रखने वाली कल्पना मुर्मू सोरेन ने पार्टी कार्यकर्ताओं और झारखंड की जनता को खुद से जोड़कर उनमें उत्साह और जोश भरने का काम किया. 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों में कल्पना सोरेन अपनी वाकशैली और कॉन्फिडेंस से सारा माहौल बदल दिया, उनकी सभाओं में खूब भीड़ उमड़ी जिसने उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त बढ़ोतरी की.
अपनी राजनीतिक एंट्री के तुरंत बाद कल्पना मुर्मू सोरेन ने महिला आदिवासी वोटर्स को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ग में पैठ बनाई जिसने सारी परिस्थिति को बदल कर रख दिया. यह कल्पना सोरेन की दूरदर्शिता का ही नतीजा था कि चुनावों से ठीक पहले जेएमएम द्वारा लायी गयी मुख्यमत्री मैया सम्मान योजना, जिसमें महिलाओं को 12000 रूपये सालाना दिए गए, से चुनावों का रुख मोड़ दिया गया. इस योजना से झारखंड की 45 लाख से ज्यादा महिला वोटर्स को वित्तीय सहायता की गयी, मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना चुनावों में काफी लोकप्रिय हुई, जिसे कल्पना मुर्मू सोरेन ने अपना निर्णय बताते हुए जनता का समर्थन प्राप्त किया.
उनकी चुनावी रैलियों में आदिवासी और महिला वोटर्स सबसे ज्यादा थे, तो कल्पना मुर्मू सोरेन ने अपने भाषणों में झारखंड में कल्याणकारी योजनाएं चलाने की वजह से पति हेमंत सोरेन को निशाना बनाकर गिरफ्तार करना विपक्ष की साजिश बताया था. साथ ही जेएमएम की अन्य योजनाओं के बारे में भी जनता को बताती थी.
2024 झारखंड विधानसभा चुनावों में कल्पना सोरेन की लोकप्रियता का इतना प्रभाव था, कि कल्पना सोरेन की रैलियों की हेमंत सोरेन की रैलियों से भी अधिक डिमांड थी. इन चुनावों में कल्पना मुर्मू सोरेन ने सबसे अधिक रैलियां की थी.