साक्षी मलिक एक प्रसिद्ध भारतीय महिला पहलवान है. साक्षी मलिक हरियाणा राज्य के रोहतक जिले के मोखरा गाँव से आती हैं. साक्षी मलिक का जन्म 03 सितम्बर 1992 को हुआ था. साक्षी मलिक की शादी भारतीय पहलवान सत्यव्रत कादियान के साथ हुई है जिनके साथ वह अपने गृह नगर रोहतक में रहती हैं.
साक्षी मालिक के दादा सुबीर मलिक भी एक बड़े पहलवान थे, उन्हें पहलवानी करते देख और उनसे प्रेरित होकर साक्षी मलिक ने रेसलिंग में करियर बनाने का फैसला किया. जब साक्षी महज 12 साल की थी तभी से उन्होंने ईश्वर दहिया की देख रेख में रेसलिंग करना शुरू कर दिया था. अनुभवी प्रशिक्षण और जबरदस्त मेहनत के दम पर पांच साल बाद, साक्षी मलिक ने 2009 में एशियाई जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के फ़्रीस्टाइल में 59 किग्रा भारवर्ग में सिल्वर मैडल जीतते हुए पहली बार बड़ी सफलता हासिल की. इसके बाद 2010 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भी साक्षी मलिक ब्रॉन्ज मैडल जीतने में कामयाब रही.
2013 की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल जीतने के बाद, साक्षी मलिक ने ग्लासगो में अगले वर्ष 2014 में में भारत को रिप्रेजेंट करते हुए अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम खेला और 58 किलोग्राम के फाइनल में पहुंच गयी, मगर वहां साक्षी नाइजीरिया की अमीनत अदेनियी से हार गयी और उनको सिल्वर मैडल से संतोष करना पड़ा. साक्षी 2014 की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी भारत को लीड कर चुकी है.
जब गीता फोगाट को मंगोलिया में उनके रेपचाज राउंड से नाम वापस पर निलंबित कर दिया गया था, तो रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) ने साक्षी मलिक को मौक़ा दिया, उन्होंने 58 किलोग्राम के सेमीफाइनल में चीन की ज़ांग लैन को हराकर अपने पहले ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई किया था.
इसके बाद साक्षी मालिक ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में 58 किग्रा भारवर्ग में ब्रांज मैडल जीता. भारत के लिए ओलंपिक मैडल जीतने वाली साक्षी पहली महिला पहलवान बनी. यह ओलम्पिक मैडल साक्षी मलिक के रेसलिंग करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
सन 2018 में साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 62 किलोग्राम वर्ग में ब्रांज मैडल के साथ अपना दूसरा कॉमनवेल्थ मैडल जीता.
ओलंपिक मैडल विनर साक्षी मलिक एशियाई चैंपियनशिप में लगातार नियमित रूप से दावेदार रही हैं, उन्होंने 2015 और 2019 के बीच चार सालों में तीन ब्रांज मैडल और एक सिल्वर मैडल जीता.
साक्षी मलिक की पहलवानी में उपलब्धियों ने बाकी महिला रैसलर की अगली पीढ़ी को प्रेरित करने का काम किया है.
वह भारतीय रेलवे द्वारा नियोजित और JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का भी लम्बे समय तक हिस्सा बनी रही.
2023 में साक्षी मलिक को कुछ विवादों से भी गुजरना पड़ा. जब साक्षी मलिक भारतीय महिला पहलवानो द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगाए गए हराशमेंट के आरोपों के पक्ष में आ गयी. साक्षी मलिक अन्य पहलवानो के साथ धरने प्रदर्शनों में शामिल रही और ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्यवाही की मांग करी.
वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि 18 वर्षीय पहलवान सोनम मालिक से कई बार हार के बाद साक्षी मलिक का अगला ओलम्पिक खेलना मुश्किल है. और भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा बनाये गए नए नियमों के अनुसार साक्षी अब ओलम्पिक नहीं खेल पाएंगी जिसकी वजह से उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और ऐसे आरोप लगाए है जिनमें कोई सत्यता नहीं है.
दरअसल जनवरी 2023 में, पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया था, क्योंकि बृज भूषण सिंह पर सरकारी जांच शुरू होने के कारण उनकी प्रशासनिक शक्तियां रोक दी गयी थी. मगर अप्रैल 2023 में, उन्होंने आंदोलन फिर से शुरू कर दिया क्योंकि तत्कालीन सरकार ने बृज भूषण सिंह की जांच पर पैनल के डिसीजन का खुलासा नहीं किया.
इस बार आंदोलन ने वर्ल्ड लेवल पर हैडलाइनस मिली, और यह उग्र आंदोलन और तेज हो गया जब पहलवानों ने भारत के 2023 में बने नए संसद भवन तक मार्च करने का प्रयास किया, उसी समय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. इस पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने पहलवानों के साथ किए गए व्यवहार की निंदा की और उनकी शिकायतों की निष्पक्ष जांच की मांग की.
तब साक्षी मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी निराशा व्यक्त की और उन्होंने रोते हुए मीडिया से कहा, हम 40 दिनों तक सड़क पर सोते रहे. अगर बृजभूषण सिंह के क्लोज्ड और बिजनेस पार्टनर संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती खेलना छोड़ दूंगी.
जून 2023 में, पुलिस द्वारा बृज भूषण सिंह पर पीछा करने, उत्पीड़न और डराने-धमकाने के साथ-साथ वल्गर कमेंट करने के ऐलेगेसंस लगाए गए, लेकिन अदालत ने उनको जमानत दे दी.
पहलवानों ने भारत के तत्कालीन खेल मंत्री से बृज भूषण सिंह से जुड़े लोगों को डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए भी कहा था, जिसकी वजह से चुनावों में कई महीनों की देरी हुई.
साक्षी मालिक ने यह भी कहा था कि पहलवानों की मांग थी, कि किसी महिला को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनाया जाए ताकि महिला पहलवानों को ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े.
मगर चुनावों में महिलाओं को कोई पार्टिपिटेसन नहीं मिला और इसमें एक भी महिला को कोई पद नहीं दिया गया. संजय सिंह को चुनावों में जीत के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष चुन लिया गया. संजय सिंह कथित तौर पर डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष प्रमुख बृज भूषण सिंह के करीबी सहयोगी हैं.
इसके बाद साक्षी मलिक ने अपने वादे के मुताबिक महासंघ के नए अध्यक्ष के विरोध में खेल छोड़ दिया.
इंडियन ओलंपिक मैडल विनर वूमन रेसलर साक्षी मलिक ने अक्टूबर 2024 में अपनी ऑटोबॉयोग्राफी विटनेस लांच की, जिसमें उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. साक्षी मलिक ने इसमें बताया है कि किस तरह बृजभूषण शरण सिंह ने उनको गलत तरीके से छुआ था, इसके अलावा साक्षी मालिक ने बचपन में अपने ट्यूशन टीचर द्वारा किए गए शोषण की कहानी भी लिखी है.
रियो ओलंपिक-2016 में भारत भारत के लिए ब्रॉन्ज मैडल जीतने वाली साक्षी मलिक ने बृजभूषण शरण सिंह द्वारा किए गए अत्याचार की कहानी अपनी किताब में शेयर करते हुए लिखा है कि जब भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनको गलत तरीके से छुआ था. सिर्फ इतना ही नहीं, साक्षी ने अपनी किताब में बताया है कि बचपन में भी उन्हें ट्यूशन टीचर की गलत हरकतों का शिकार होना पड़ा था. साक्षी ने इस दौरान अपने माता-पिता के समर्थन का गुणगान भी किया है.
सन 2023 की शुरुआत में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इन सभी के आरोप थे कि बृजभूषण महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न करते हैं.
साक्षी ने अपनी किताब में साल 2012 में कजाकिस्तान के अलमाती में हुई एशियन जूनियर चैंपियनशिप की उस घटना के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण के कमरे में उनको एक प्लानिंग के तहत फोन पर अपने माता-पिता से बात करने के लिए भेजा गया था. साक्षी मालिक बताती है कि जब मै वहां गई तो बृजभूषण ने मेरी मेरे माता-पिता से बात करवाई तब तक इसमें कोई परेशानी नहीं थी. जब तक मैं अपने माता-पिता से बात कर रही थी, तब तक मुझे वहां कुछ भी असुरक्षित नहीं लगा था.
मैं उनके बेड पर बैठी थी, लेकिन जैसे ही मेरी फोन पर बात खत्म हुई, उन्होंने मुझे गलत तरीके से छुना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें धक्का दिया और रोने लगी तो वह पीछे हट गए. मुझे लगता है कि उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया था और खुद को बचने के लिए उन्होंने मुझे कहा कि उन्होंने मेरे पापा की तरह कंधे पर हाथ रखा था, लेकिन मैं जानती थी कि ऐसा नहीं था. मैं वहां से रोती हुई अपने कमरे में चली गई थीं.
इसके अलावा साक्षी मालिक ने अपने बचपन में ट्यूशन टीचर द्वारा किये गए यौन शोषण के विषय में भी बताया है, उन्होंने लिखा है, मेरा बचपन में भी ट्यूशन टीचर द्वारा शोषण किया गया, लेकिन लंबे समय तक मैंने अपने परिवार से इस बारे में बताया नहीं था. मेरे ट्यूशन टीचर मुझे अजीब समय पर अपने घर बुलाते थे और मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश करते थे, मैं ट्यूशन में जाने से भी डरने लगी थी. लम्बे समय तक मैं शांत रही लेकिन फिर मुझे अपनी माँ को बताना पड़ा, मेरी मां ने मेरा हमेशा साथ दिया. न सिर्फ ट्यूशन टीचर वाले केस में बल्कि बृजभूषण शरण सिंह वाले केस में भी. मेरे माता-पिता ने कहा था कि मैं सबकुछ भूलकर अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान दूं.
इसके अलावा विटनेस में साक्षी मालिक ने हरियाणा की बीजेपी नेता बबीता फोगाट पर भी अपने आंदोलन को सपोर्ट करके बृजभूषण शरण सिंह को हटाने के लिए षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है. साक्षी मालिक कहती है कि कि देश के पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जो प्रदर्शन किया था, उसके लिए बबीता फोगाट ने उन्हें उकसाया था, क्योंकि वह बृजभूषण शरण सिंह की जगह डब्ल्यूएफआई की अध्यक्ष बनना चाहती थीं.
सन 2023 की शुरुआत में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित कई पहलवानों ने जंतर-मंतर पर बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उन पर महिला खिलाड़ियों के साथ शोषण के आरोप लगाए थे. साक्षी ने अपनी ऑटो बायोग्राफी अब बताया है कि पूर्व महिला पहलवान बबीता फोगाट ने इस प्रदर्शन की आग सुलगाई थी. उन्होंने पहलवानों को इकट्ठा किया था और महासंघ में हो रहीं परेशानियों, शोषण को लेकर प्रदर्शन करने के लिए बबीता फोगाट ने हमसे संपर्क किया था कि हम बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन करें. इसके पीछे उनका अपना डब्ल्यूएफआई की अध्यक्ष बनने का एजेंडा था. सामान्यतः ऐसी चर्चाएं थी कि हमारे इस प्रदर्शन के पीछे कांग्रेस थी, लेकिन सच यह है कि बीजेपी के दो नेताओं बबीता फोगाट और तीरथ राणा ने हमें जंतर मंतर पर प्रदर्शन के लिए इजाजत दिलाने में मदद की थी.
साक्षी मालिक के साथ इस आंदोलन में प्रमुख साथी विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी. उनका यह निर्णय साक्षी मालिक को पसंद नहीं आया था क्योंकि साक्षी को लगता था कि इस निर्णय से उनके आंदोलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.