rehana fathima famous feminist and social activist

रेहाना फातिमा फेमस फेमिनिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट

रेहाना फातिमा पहले बीएसएनएल में एक टेलीकॉम टैक्नीशियन के रूप में काम करती थी, उन्होंने एका नामक इंटरसेक्शुअलिटी पर बेस्ड एक फिल्म में एक्टिंग भी की थी. इस फिल्म के पोस्टर में टैगलाइन थी - मैं इंटरसेक्स हूँ, मेरे पास जन्म से लिंग और योनि है, मैं जीना चाहता हूँ. उत्पादकों ने दावा किया कि यह भारत में निर्मित होने वाली अपनी तरह की पहली फिल्म थी.

रेहाना फातिमा केरल की एक मशहूर सोशल एक्टविस्ट है, उनको एक पॉक्सो मामले से जून 2023 में मुक्त कर दिया गया. इस मामले में स्टेट हाई कोर्ट ने रेहाना फातिमा को यह कहते हुए बरी कर दिया कि एक महिला का अपने शरीर के संबंध में स्वतंत्र निर्णय उसकी समानता और निजता के मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है. 

रेहाना फातिमा सन 2020 में जब उनकी उम्र 37 साल थी,अपने नाबालिग बच्चों के साथ अपनी सेमी न्यूड बॉडी पर पेंटिंग करते हुए एक वायरल वीडियो में दिखाई दी थी. इस वायरल वीडियो के बाद रेहाना फातिमा को कई आरोपों का सामना करना पड़ा था. यही नहीं इस घटना के बाद, रेहाना फातिमा को गिरफ्तार भी कर लिया गया था और साथ ही उनकी जमानत याचिका भी बार-बार खारिज कर दी गई थी. 

जून 2023 में केरल उच्च न्यायालय द्वारा सुनाये गए फैसले में न्यायाधीश कौसर एडप्पागथ ने रेहाना फातिमा की वीडियो को अधिनियम के अनुसार, हानिरहित कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में माना और यौन रूप से स्पष्ट होने के किसी भी आरोप को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि फातिमा के बच्चे पोर्नोग्राफी में शामिल थे, और वीडियो में कोई यौन संबंध नहीं था. रेहाना फातिमा के खिलाफ आरोपों से, किसी के लिए यह अनुमान लगाना संभव नहीं था कि उसके बच्चों का इस्तेमाल किसी वास्तविक या नकली यौन कृत्यों के लिए किया गया था और वह भी यौन संतुष्टि के लिए.

अदालत ने कहा कि फातिमा ने केवल अपने शरीर को अपने बच्चों को पेंट करने के लिए कैनवास के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी. न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की निर्दोष कलात्मक अभिव्यक्ति को वास्तविक या नकली यौन क्रिया में बच्चे के उपयोग के रूप में परिभाषित करना कठोर था. यह दिखाने के लिए आरोपों में ऐसा कुछ भी नहीं है कि बच्चों को पोर्नोग्राफी के लिए इस्तेमाल किया गया था. वीडियो में कामुकता का कोई संकेत नहीं है, किसी व्यक्ति के न्यूड अपर बॉडी पर पेंटिंग करना, चाहे वह पुरुष हो या महिला, को यौन रूप से गलत कार्य नहीं कहा जा सकता है.

अदालत के अनुसार, लिंग की परवाह किए बिना किसी व्यक्ति के खुले ऊपरी शरीर पर पेंटिंग को यौन रूप से गलत कार्य नहीं माना जा सकता है. इसीलिए, रेहाना फातिमा को इस मामले से बरी कर दिया गया. कोर्ट ने कहा, किसी के शरीर पर स्वायत्तता के अधिकार को अक्सर निष्पक्ष सेक्स से वंचित किया जाता है और उन्हें धमकाया जाता है, भेदभाव किया जाता है, अलग-थलग किया जाता है और सताया जाता है. उनके शरीर और जीवन के बारे में चुनाव करने के लिए.

केरल उच्च न्यायालय में अपनी अपील में, रेहाना फातिमा ने दावा किया था कि बॉडी पेंटिंग के जरिये उन्होंने समाज के डिफ़ॉल्ट दृष्टिकोण के खिलाफ एक राजनीतिक बयान के तौर पर प्रस्तुत किया था. एक महिला की न्यूड अपर बॉडी सभी कॉन्टेक्स्ट में यौनकृत होती है, जबकि न्यूड मेल अपर बॉडी इस डिफ़ॉल्ट यौनकरण के लिए शरीर पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है.

रेहाना फ़ातिमा प्यारीजान सुलेमान स्वयं को एक सोशल फेमिनिस्ट मानती हैं और कई वर्षों से महिला अधिकारों से जुड़े कई मामलों में सक्रिय रूप से शामिल होती रही हैं.

रेहाना फातिमा ने पहली बार 2018 में नेशनल लेवल पर सुर्ख़ियों में जगह बनायीं जब उन्होंने केरल के सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया. सबरीमाला मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जिसमें पारंपरिक रूप से रजस्वला उम्र की महिलाओं के लिए प्रवेश वर्जित था. फिर जब सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं को ऐसा करने की अनुमति दी थी, तो उन्होंने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिस की और इसके लिए कुछ समूहों द्वारा उन्हें  टारगेट बनाया गया था. 

रेहाना फातिमा के मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया जिसके बाद महिला समर्थक और महिला विरोधी दोनों समूहों द्वारा उनका विरोध किया गया.   

फातिमा मोरल पुलिसिंग और सेक्सिज्म के विरोध में भी शामिल रही हैं. 2014 में, रेहाना फातिमा ने केरल के कोच्चि में विवादास्पद किस ऑफ़ लव इवेंट में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और अपना विरोध दर्ज किया था, जिसका उद्देश्य नैतिक पुलिसिंग का विरोध करना था. अपने पार्टनर, फिल्म निर्माता मनोज के श्रीधर के साथ पब्लिक प्लेस में किसिंग का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर उनके द्वारा शेयर किया गया था.

इसके आलावा, वह अय्यांथोल पुलीकाली नामक पारंपरिक वार्षिक ओणम बाघ नृत्य टीम में सम्मिलित एकमात्र महिला थीं, पुलीकाली त्रिशूर में एक लोकप्रिय कार्यक्रम है. सामान्यतः इसमें पुरुष समूहों द्वारा भाग लिया जाता है. पुलिकली में भाग लेकर रेहाना फातिमा ने पुरुष प्रभुत्व के गढ़ों को चुनौती देने की कोशिश की थी. जिसमें आमतौर पर सभी पुरुष मंडलों की उपस्थिति देखी जाती है।

मई 2020 में, रेहाना फातिमा के खिलाफ फ़ाइल की गयी याचिका में आपराधिक आरोपों के संबंध में एक इंटरनल इंक्वायरी के बाद, उन्हें बीएसएनएल में नियुक्ति पद से बर्खास्तगी का सामना करना पड़ा. इस जांच में अधिकारियों ने पाया कि, रेहाना फातिमा के कार्यों ने कथित तौर पर कंपनी की प्रतिष्ठा को धूमिल किया था.

रेहाना फातिमा, एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में जन्मी है, जहाँ उन्हें मदरसे में कक्षाओं में भाग लेने और दिन में पांच बार नमाज अदा करने की आवश्यकता थी. रेहाना कहती है कि अपने पिता की मृत्यु के समाज के स्वभाव को देखकर उनका धर्म से मोहभंग हो गया और धर्म की उनकी अवधारणा नाटकीय रूप से बदल गई.  उनके दो बच्चे है.

नवंबर 2018 में, रेहाना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर कथित रूप से ऐसी सामग्री पोस्ट करने के लिए पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा, जिसे धार्मिक भावनाओं के लिए अपमानजनक माना गया था. 18 दिन जेल में बिताने के बाद, फातिमा को इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा सशर्त जमानत दी गई थी.

भाजपा ओबीसी मोर्चा के नेता एवी अरुण प्रकाश द्वारा रेहाना फातिमा के खिलाफ दर्ज कराई गई एक शिकायत पर महिला को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम के तहत पठानमथिट्टा जिले में भी पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया था.

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