life story of radhika khera

राधिका खेड़ा का जीवन परिचय

राधिका खेड़ा भारतीय राजनीती का एक जाना पहचाना नाम है जिसे राजनीति विरासत में मिली है. 7 जुलाई 1983 को भारत की राजधानी नई दिल्ली में जन्मी राधिका खेड़ा जय प्रकाश अग्रवाल की पुत्री है. जय प्रकाश अग्रवाल दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य रह चुके है. इस प्रकार राजनेताओं के परिवार में पली-बढ़ी, राधिका का राजनीति में शामिल होना तय था, क्योंकि उनकी परवरिश ने उन्हें सामाजिक जिम्मेदारीयो की भावना और लोगों के कल्याण में योगदान करने की इच्छा से भर दिया था. 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक की डिग्री लेने वाली राधिका खेड़ा ने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाते हुए मुंबई के सोफिया कॉलेज से सोशल कम्युनिकेशंस मीडिया में एडवांस्ड डिप्लोमा लेकर खुद को एक नया मुकाम दिया. राजनीतिक परिवार से आने वाली राधिका खेड़ा ने कॉलेज के दिनों से ही सक्रिय रूप से राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की यूथ विंग भारतीय युवा कांग्रेस से जुड़ गयी थी.

राजनीतिक यात्रा
इस प्रकार राधिका खेड़ा का राजनीतिक सफर जल्द ही शुरू हो गया था. कालेज के दिनों में ही वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गई थी. एक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता के साथ साथ वह पार्टी की एक प्रमुख सदस्य भी बन गई. सामाजिक न्याय के प्रति राधिका खेड़ा की प्रतिबद्धता और सार्वजनिक सेवा के लिए उनके जुनून ने उन्हें समाज की भलाई के लिए कठिन प्रयास करने के लिए प्रेरित किया.

चुनौतियां और दृढ़ता 
हालांकि राधिका खेड़ा का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था मगर उनके लिए यह सब उतना आसान नहीं था और उनको भी कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. जैसा कि सामान्य जीवन में अपने विश्वासों के प्रति अटूट श्रद्धा और प्रतिबद्धता कई बार मनुष्य को दूसरों के साथ सामंजस्य बनाने में बाधा उत्पन्न कर देती है. ऐसा ही कुछ हुआ राधिका खेड़ा के साथ, जब अयोध्या में भगवान् श्री राम मंदिर निर्माण के बाद अप्रैल 2024 में उनकी राम मंदिर यात्रा के बाद उनकी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस ने राधिका खेड़ा के साथ अनुचित व्यवहार किया. 

भगवान श्री राम के प्रति राधिका खेड़ा की श्रद्धा और भक्ति ने उन्हें रामलला दर्शन करने के लिए विवश कर दिया. हालांकि, इसके लिए उनको पार्टी के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा. आखिरकार राधिका खेड़ा ने अपनी श्रद्धा, विशवास के प्रति विरोध से निराशा व्यक्त करते हुए, उचित न्याय न मिलने का हवाला देते हुए तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. 

इस्तीफा और दृढ़ संकल्प
राधिका खेड़ा ने जब कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. तो छत्तीसगढ़ के राज्य इकाई कार्यालय में एक अन्य नेता ने उनके साथ बत्तम्मीजी  करने की कोशिश की जिससे विवाद और बढ़ गया व राधिका खेड़ा का फैसला और मजबूत हो गया. अपने इस्तीफे में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अंदर छद्म पुरुष वर्चस्व की मानसिकता जो भी पॉइंट आउट किया. 

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) से लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मीडिया विभाग तक में कई वर्षो तक राधिका खेड़ा ने  समर्पित निस्वार्थ सेवा की है इसके बावजूद उनको लगा कि आज जब उन्हें न्याय की सबसे अधिक जरूरत है तब भी पार्टी ने उनका साथ नही दिया. 

न्याय के लिए एक आवाज
राधिका खेड़ा का पार्टी से इस्तीफा उनकी हार नहीं बल्कि अपने आदर्श और विश्वासों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की निशानी है. वर्षों तक एक पार्टी की सेवा के बाद लिया गया यह कदम, राधिका खेड़ा की न्याय और सत्य की लड़ाई जारी रखने की ओर एक मजबूत कदम है. अपने लिए और देश के लोगों के लिए, राजनीति के प्रति जुनूनी एक कॉलेज छात्रा से एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तिव बनने की राधिका खेड़ा की यह जीवन यात्रा उनके आदर्शो के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है. राधिका खेड़ा की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी सही के लिए खड़े होने में संकोच नहीं करते हैं.

समाप्ति
राधिका खेरा का जीवन साहस, दृढ़ विश्वास और अटूट समर्पण की कहानी है. राधिका खेड़ा का यह कदम उनके जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा, और निश्चित रूप से उनके अगले कदमों से भारतीय राजनीति के क्षेत्र में उनका प्रभाव बढ़ेगा जो राष्ट्र और समाज के हित में होगा.

सितम्बर 2024 में राधिका खेड़ा ने विनेश फोगट और बजरंग पुनिया के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ज्वाइन करने और कांग्रेस द्वारा विनेश फोगाट को विधानसभा उमीदवार बनाये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. जिसके बाद वह काफी चर्चा में आ गयी थी. दरसअल राधिका खेड़ा ने ट्वीट करते हुए कहा था कि एक खिलाडी और महिला होने के नाम पर देशवासियों से भावुक अपील करने वाली विनेश फोगाट ये सब अपनी राजनीतिक इच्छाओं के लिए कर रही थी. यह कांग्रेस और विनेश फोगाट के निम्न स्तर को दिखाता है. 

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